Samiti
समर्थ शिक्षा समिति सन् 1959 में नाईवाला, करोल बाग, नई दिल्ली में एक छोटे से विद्यालय के माध्यम से प्रारम्भ हुई। प्रारम्भ के कार्यकत्र्ताओं के माध्यम से यह पुनीत
कार्य प्रारम्भ हुआ। उनके नाम निम्नलिखित है: -
प्रथम कार्यकारिी
धीरे-धीरे नए विद्यालय खुलते गए। कार्यकत्र्ताओं के घोर परिश्रम, प्रतिबद्धता के माध्यम से मान्यता भी मिलती गई। वर्तमान में, दिल्ली में समिति के 27 विद्यालय चल रहेहैं। जिनका वर्गीकरण निम्नानुसारहैं:-
केन्द्रीय समिति(25 सदस्यों) के अन्तर्गत समिति तीन विभागों- दक्षिणी-8 विद्यालय, पश्चिमी-9 एवं उत्तरी-10 विद्यालयों के माध्यम से कार्य का संचालन कर रही है। छात्र संख्या इस समय 13,405 है।
समाज में चलने वाले कुछ अन्य विद्यालय भी हैं जो समिति के साथ सम्पर्कित हैं। इनकी संख्या 12 एवं छात्र संख्या 2807 है। इन विद्यालयों में समिति में चलने वाली पुस्तकें, पाठ्यक्रम(ैलससंइनेद्ध वन्दना, संस्कृति ज्ञान परीक्षा इत्यादि लागू हंै।
समर्थ शिक्षा समिति, विद्या भारती से प्रेरणा एवं मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए, विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार प्रदान करने का भी महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। समिति समाज में संस्कारवान, चरित्रवान, देशभक्त, भारतीय संस्कृति के प्रति श्रद्धा का भाव एवं उसके अनुसार अनुसरण-आचरण करने वाली युवा पीढ़ी को गढ़ने के प्रयास में रत है। बच्चों का पंच-कोड्ढीय विकास हो, इसके लिए उनके शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक एवं नैतिक-आध्यात्मिक विकास के प्रति भी दैनिक क्रियाकलापों के माध्यम से प्रयत्नशील है।
इन पाँच आधारभूत विड्ढयों (शारीरिक, योग, संगीत, संस्कृत, नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा) के साथ-साथ कुछ अन्य विड्ढयों का भी समावेश किया गया है जो निम्नानुसार हैं:-
समिति की निकट भविष्य में रोजगार केन्द्रित शिक्षा ;टवबंजपवदंस म्कनबंजपवदद्ध के कुछ विड्ढय प्रारम्भ करने की भी योजना है। इससे आगे की शिक्षा न कर पाने वाले छात्रों की अपना रोजगार प्रारम्भ करने की सोच बनेगी। विस्तृत विचार के बाद यह योजना प्रारम्भ होगी।
समिति, शिक्षा के क्षेत्र में ऊँंचे कीर्तिमान स्थापित करने के लिए कृत संकल्प है। समिति, आदर्श विद्यालयों का निर्माण करते हुए, आदर्श छात्रों के माध्यम से श्रेष्ठ समाज बनाने के लिए प्रयत्नशील है। यहीं समर्थ शिक्षा समिति का लक्ष्य है।
!!जय भारत!!